Manjoo JNU Blogs:
मुहब्बत खीच लायी है ,हमें इस आशियाने में नहीं तो कौन पूछता है किसी को , इस जमाने में ||
सफर
इस बनते –बिगड़ते सफ़र में
सबसे अलग अपनी दुनिया है
यहाँ पर साथी हजार हैं,
चाहने वाले हजार हैं
पर उनमे अपनेपन का वो एहसास नहीं...
चाहकर भी किसी को अपना, न सकी
जिसको चाहा भी
उसे एहसास...