Story of Abdul Bismillah
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January 18, 2011
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अतिथि देवो भव
अब्दुल बिस्मिल्लाह
गर्मी बहुत तेज थी। तीन –चार दिनों से बराबर लू चल रही थी और जगह-जगह मौतें हो रही थीं । शहर की सड़के चूल्हे पर चढ़े तवे की तरह तप् रही थीं। बड़े लोगों ने दरवाजों खस की टट्टियां ली थीं और उनके नौकर उन्हें पानी...